मुरलीधर की मथुरा !कृष्णजन्मभूमि,विश्राम घाट,गोकुल,बरसानाl

मथुरा

यमुना नदी के पश्चिमी तटपर बसे विश्व के प्राचीन शहरों में मथुरा एक शहर है । यह शहर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है । भारत के सात प्राचीन नगर अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारका में से एक है मथुरा । इस शहर का इतिहास बहुत ही पुराना है ।

मथुरा जिले में चार तहसीलें हैं – मांट, छाता, महावन और मथुरा । इसके दस विकास खंड हैं – नंदगांव, छाता, चौमुहां, गोवर्धन, मथुरा, फरह, नौहझील, मांट, राया और बलदेव । जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल ३३२९.४ वर्ग कि.मी. है । प्राचीन काल में यह शूरसेन देश की राजधानी थी । वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है ।

मंदिर, कुंड, जंगल और घाटों के शहर मथुरा के आसपास बसे स्थानों में प्रमुख हैं, गोकुल, वृंदावन, ब्रज मंडल, गोवर्धन पर्वत, बरसाना, नंदगांव और यमुना के घाट तथा जंगल । मथुरा और उसके आसपास के प्रसिद्ध मंदिर हैं – कृष्णकेशवदेव मंदिर, कालिन्दीश्वर महादेव, दाऊजी मंदिर, दीर्घ विष्णु मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, पद्मनाभजी का मंदिर, पीपलेश्वर महादेव, बलदाऊजी, श्रीनाथजी भंडार आदि ।

 

प्रमुख कुंड में पोखरा का कुंड और शिवताल का महत्व ही अधिक है । प्रमुख घाटों में ब्रह्मांड घाट, विश्राम घाट और यमुना के घाट की सुंदरता देखते ही बनती है । इसके अलावा मथुरा जिले में १२ वन थे- मधुवन, तालवन, कुमुदवन, काम्यवन, बहुलावन, भद्रवन, खदिरवन, महावन, लौहजंघवन, बिल्ववन, भांडीरवन एवं वृंदावन । इसके साथ २४ उपवन भी थे ।

मथुरा से वृंदावन की ओर जानेपर पागलबाबा का मंदिर, बां के बिहारी मंदिर, शांतिकुंज, बिडला मंदिर और राधावल्लभ मंदिर देखने योग्य हैं । मथुरा से गोकुल की ओर ठकुरानी घाट, नवनीतप्रियाजी का मंदिर, रमण रेती, ८४ खंबे, बलदेव आदि दर्शनीय स्थल हैं ।

मथुरा से गोवर्धन की ओर गोवर्धन, जतीपुरा, बरसाना, नंदगांव, कामा, कामवन आदि स्थल देखने योग्य हैं । मथुरामें प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं – कृष्णकेशवदेव मंदिर, कालिन्दीश्वर महादेव, दाऊजी मंदिर, दीर्घ विष्णु मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, पद्मनाभजी का मंदिर, पीपलेश्वर महादेव, बलदाऊजी, श्रीनाथजी भंडार आदि l

मथुरा से गोवर्धन की ओर गोवर्धन, जतीपुरा, बरसाना, नंदगांव, कामा, कामवन आदि स्थल देखने योग्य हैं ।

कृष्णजन्मभूमि

मथुरा में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है कृष्णजन्मभूमि । उक्त स्थानपर सबसे पहले कृष्ण के प्रपोत्रने एक मंदिर बनवाया था, जहां पहले कारागृह हुआ करता था । कालांतर में यह मंदिर बहुत बार नष्ट किया गया । पहले बौद्ध काल में फिर मुगल काल में और फिर अंग्रेजों के काल में मुहम्मद गजनीने इसे तोडा था । यहां पुन: मंदिर बनाया गया जिसे सिकंदर लोदी के शासनकाल में नष्ट कर दिया गया ।

फिर जहांगीर के शासन काल में पुन: इस मंदिर का निर्माण हुआ । १६६९ ई. में औरंगजेबने पुन: यह मंदिर नष्टकर दिया और इसकी जगह एक ईदगाह बनवा दी जो आज भी विद्यमान है । इसी के पीछे फिर मंदिर बनाया गया । यहीं एक कुंड है जिसे पोखरा कुंड कहते हैं । मान्यता है कि वहीं पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था । हालांकि कारागृहके क्षेत्रमें अब मस्जिद, मंदिर और पोखरा (कुंड) तीनों ही स्थित है।

विश्राम घाट

विश्राम घाट बहुत ही सुंदर स्थान है, मथुरा में यही प्रधान तीर्थ है । यहांपर भगवान ने कंस वध के पश्चात् विश्राम किया था । नित्य प्रातः-सायं यहां यमुनाजी की आरती होती है, जिसकी शोभा दर्शनीय है । इस घाटपर मुरलीमनोहर, कृष्ण-बलदेव, अन्नपूर्णा, धर्मराज, गोवर्धननाथ आदि कई मंदिर हैं । यहां चैत्र शुक्ल ६ (यमुना-जाम-दिवस), यमद्वितीया तथा कार्तिक शुक्ल १० (कंसवध के उपरांत) को मेला लगता है ।

गोकुल, 

यमुना नदी के एक किनारे मथुरा है तो दूसरे किनारे गोकुल (नंदगांव) जहां श्रीकृष्ण भगवान का लालन-पालन हुआ था । यही कृष्णने अपनी बाल लीलाएं भी की थीं । गोकुल में नंद बाबा का वह घर आज भी जतन कर रखा गया है जहां कृष्ण का बाल्य काल बीता, इसके साथ पूतना वध, माखन चोरी का स्थान गोकुल में देखने योग्य हैं । 

बरसाना

मथुरा से ४२ किमी. की दूरी पर है बरसाना, जो श्रीराधाजी का गांव है । यहां भी राधा कृष्ण की कई निशानियां हैं, जैसे राधाजी का जन्म स्थल, कृष्ण राधा का मिलन स्थल आदि । मथुरा में इसके साथ देखने योग्य बहुत सारे 


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(श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का यह प्रसिद्ध मन्दिर मथुरा में स्थित है, जिसकी पौराणिक मान्यता है। मन्दिर में 'दाऊजी', 'मदनमोहन' तथा अष्टभुज 'गोपाल' के श्रीविग्रह विराजमान हैं।))बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के सौतेले बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। बलराम, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं। बलभद्र के सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था।Balarama grew up with his younger brother Krishna with foster parents, in the household of the head of cowherds Nanda and his wife Yashoda. He was named Rama, but because of his great strength he was called Balarama, Baladeva, or Balabhadra, meaning Strong Rama. He was born on Shraavana Purnima or Raksha Bandhan.