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Showing posts from May, 2020

सदियों से गोवर्धन पर्वत लोगों की आस्था का केन्द्र है। यहां दूर दूर से श्रद्धालु सप्तकोसी परिक्रमा करने आते हैं। जहां तक हो सके सांसारिक बातों को त्याग कर पवित्र अवस्था में हरिनाम व भजन कीर्तन करते हुए ही परिक्रमा लगानी चाहिये। पहुँचें:_ जिला मुख्यालय मथुरा से मात्र २० किलोमीटर की दूरी पर है और हर समय मथुरा से जीप/बस/टेक्सी उपलब्ध रहते हैं। राजस्थान के अलवर शहर से १२० किलोमीटर की दूरी पर, अलवर-मथुरा मार्ग पर स्थित, अलवर से कई बसें उपलब्ध हैं। निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन- मथुरा जंक्शन है।कहां ठहरें :_गोवर्धन एवं जतीपुरा में कई धर्मशालाएं एवं होटल हैं जहां रुकने एवं भोजन की व्यवस्था हो जाती है। यद्यपि भक्तों का यहां हमेशा ही आना जाना लगा रहता है परंतु पूर्णिमा के आस पास यह संख्या अत्यंत बढ़ जाती है। उस समय पर प्रदेश सरकार अतिरिक्त व्यवस्था मुहैया कराती हैl

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  Do not do the Parikrama alone. Take at least one for support or other emergencies. Govardhan Hill is a small mound today, hardly even noticeable.  A curse is making it sink into the ground every year and so one day it is going to be legend. Near one of the Kunds there is also a shrine and footprints where Krishna is believed to have actually stood and lifted the hill. Along the Parikarama route there are several holy places like the Radha Kund, Manasi Ganga and Kusum Sarovar where the water is so holy it was actually recommended to just sprinkle a few drops on the heads of pilgrims.     पर्वत के चारों तरफ से गोवर्धन शहर और कुछ गांवों को देखा जा सकता है। इसके पहले हिस्से में जतीपुरा—मुखारविंद मंदिर, पूंछरी का लौठा प्रमुख स्थान है तो दूसरे हिस्से में राधाकुंड, श्याम कुंड और मानसी गंगा प्रमुख स्थान है।  गोवर्धन पर्वत   उत्तर प्रदेश  के  मथुरा  जिले के अंतर्गत एक नगर पंचायत है। गोवर्धन व इसके आसपास के क्षेत्र को  ब्रज भूमि  भी कहा जाता है।

Shri Krishna or Kaliya Naag ki Katha.(कृष्ण और कालिया नाग की कथाl) (कालिया नाग मंदिर का है पौराणिक महत्व.)

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कालिया नाग के विष के कारण यमुना नदी के आसपास का सारा इलाका जहरीला हो गया था. यमुना नदी के पानी के वाष्प और बुलबुले भी इतने जहरीले हो गए थे की नदी के ऊपर उड़ने वाले पक्षीओ की भी मृत्यु हो जाती थी. भगवान श्रीकृष्ण एक दिन अपने सखा ग्वालबालों के साथ यमुना तट पर गये। सारी गौ और ग्वालबालों का गर्मी के कारण प्यास से गला सूख रहा था, इसलिये उन्होनें यमुना जी का विषैला जल पी लिया। उस विषैले जल को पीते ही सब गोएँ और ग्वालबालों का शरीर शांत हो गया। उन्हें ऐसी अवस्था में देखकर उनके  सर्वस्व श्रीकृष्ण ने अपनी अमृत बरसाने वाली दृष्टि से उन्हें जीवित कर दिया।  चेतना आने पर वे सब यमुना जी के तट पर उठ खड़े हुए और आश्चर्यचकित होकर एक-दूसरे को देखने लगे। अन्त में उन्होनें यही निश्चय किया कि हम लोग विषैला जल पी लेने के कारण मर चुके थे, परंतु हमारे  श्रीकृष्ण ने अपनी अनुग्रह भरी दृष्टि से देखकर हमें फिर से जिन्दा कर दिया है । भगवान का अवतार तो दुष्टों का दमन करने के लिये ही होता है।  जब भगवान ने देखा उस साँप के विष का वेग बड़ा भंयकर है और उससे यमुना जी भी दूषित हो गयी हैं, तब  भगवान श्रीकृष्ण अपन

जब श्री कृष्ण यशोदा मईया से हो गए नाराजl संसार में किसी को प्राप्त नहीं माता यशोदा जैसा वात्सल्य सुख (And Krishna addresses Yasoda as 'mother.' Can a woman be more blessed than this)

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भगवान ने अपनी इस लीला के माध्यम से हमें बताया की वे छोटे से गोपाल के रूप में होते हुए भी अनन्त हैं। साथ ही भक्त-वत्सल भी हैं। अपनी वात्सल्य रस की भक्त माता यशोदा की इच्छा पूरी करने के लिए वे लीला-पुरुषोत्तम जब बंधे तो पहली रस्सी से ही बंध गए बाकी रस्सियों का ढेर यूं ही पड़ा रहा। इस लीला के बाद से ही भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम हो गया दामोदर।(Rope leaves a scar around His hip, and hence He acquires the name Damodara.)     भगवान ने अपने भक्तों की इच्छा के अनुसार रूप तो अनेक धारण किए, परन्तु उनको छड़ी लेकर ताड़ना देने का सौभाग्य केवल माता यशोदा को ही प्राप्त हुआ। ऐसा सुख, ऐसा वात्सल्य संसार में किसी को न तो प्राप्त हुआ है और न ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, गोवर्धन धारण समेत अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख प्रदान किया। एक बार बाल कृष्ण ने मिट्टी खा ली, यह देखकर माता यशोदा उनका मुख खुलवाकर देखने लगीं। संपूर्ण ब्रह्मांड ही उन्हें अपने लला के मुख में दिखाई दिया तो वह आश्चर्यचकित रह गईं। 11 वर्ष छह माह तक माता यशोदा का महल भगवान श्रीकृष्ण की किलकारियों से गू
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सुख-शांति ही नहीं सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं कान्हा की बांसुरी,शास्त्रों के अनुसार गोकुल में गायों को चराने के दौरान भगवान कृष्ण कदंब के वृक्ष नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे, उनकी बांसुरी की मधुर धुन सुनकर गाय उनके पास आ जाती। सिर्फ गाय ही नहीं, गोपियों को भी उनकी बांसुरी की धुन मोहित कर देती थी। यमुना के किनारे कदंब के काफी वृक्ष हुआ करतेl

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       शिवजी भगवान श्री कृष्ण से मिलने गोकुल पंहुचे तो उन्होंने श्री कृष्ण को भेट स्वरूप वह बंसी प्रदान की। उन्हें आशीर्वाद दिया तभी से भगवान श्री कृष्ण उस बांसुरी को अपने पास रखते हैं।                            भगवान विष्णु का अवतार माने जाने वाले श्री कृष्ण जी को बांसुरी बहुत प्रिय थी। वह अपने साथ सदा इसे रखते थे। इसी वजह से शास्त्रों में बांसुरी को विशेष स्थान प्राप्त है। यहां तक कि वास्तु शास्त्र के अनुसार बांसुरी को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के मुताबिक बांसुरी को घर में रखने से हर तरह की नकारत्मक शक्ति घर से दूर रहती है। इसके अलावा बांसुरी और भी कई तरीकों से घर के लिए शुभ मानी जाती है। आइए जानते हैं कैसे... घर में बनाए रखे सुख-शांति भगवान कृष्ण सभी को बांसुरी की मधुर धुन से मोहित कर लिया करते थे। राधा के साथ उनका लगाव भी इसी बांसुरी के जरिए हुआ था। अगर आपके घर में अशांति का माहौल है या फिर आपकी अपने पार्टनर से बहस या लड़ाई होती है तो आपको भी अपने घर में श्री कृष्ण की बांसुरी रखनी चाहिए। बांस से बनी बांसुरी आपके लिए बहुत शुभ रहेगी। नेगेटिव एनर्जी होगी द

(Kaise Kiya Bhagwan Shri Krishna Na Bakasur Ka Sanhar)कैसे किया भगवान श्री कृष्ण ने बकासुर का संहारVatsasura, Bakasura and Aghasur Vadh(killed) in hindi

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भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद कंस ने उन्हें मारने के अनेंकों प्रयास किए थे। लेकिन वह अपने किसी भी प्रयास में सफल नही हो पाया। कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए उन्हीं मे एक असुर बकासुर को भेजा।बकासुर कंस की आज्ञा पाकर आकाश मार्ग से होते हुए गोकुल में पहुंचा। वहां जाकर बकासुर ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए बगुले का रूप धारण किया था। इसी कारण से उसे 'बकासुर' नाम दिया गया। भगवान श्री कृष्ण उस समय अपनी गाय को चराने के लिए जंगल में गए थे। भगवान श्री कृष्ण दोपहर के समय भोजन करने के बाद एक पेड़ की नीचें विश्राम कर रहे थे। उनकी गाय भी वहीं घास चर रही थी। भगवान श्री कृष्ण के कुछ साथी वहीं यमुना नदी में पानी पीने के लिए गए थे। जब भगवान श्री कृष्ण के साथी वहां पानी पीने गए तो उन्होंने एक भयानक जीव को देखा और वह चीखने लगे। जब जीव एक बगुला था। लेकिन उसका आकार बहुत बड़ा था। उसका मुंह और चोंच अत्यंत ही बड़ी थी। लोगों ने इस प्रकार का बगुला कभी नही देखा था।  जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण उस और दौड़ पड़े जहां से उन्हें चीख पुकार सुनाई दे रही थी। जब भगवान श्री कृष्ण यमुना नद

इतनी गोपियां क्योंlकृष्ण ने गोपी के वस्त्र क्यूं चुराएl (Gopi cheer(vastra) haran Leela)

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 इतनी गोपियां क्यों? कृष्ण को लेकर एक सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर इतनी गोपियां क्यों? कृष्ण के पास इतनी गोपियां थी क्योंकि गोपियां कृष्ण की भक्ति के कारण परमात्मा में लीन होना चाहती थीं. कई लोककथाओं में इन गोपियों को जीवात्मा भी कहा जाता है जो परमात्मा से मिलना चाहती थीं. रास लीला को भी लोग गलत तरह से लेते हैं और इसे भी एक दैवीय घटनाक्रम ही मानना चाहिएl   ( गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति जो प्रेम थ l)गll"पियों का श्री कृष्ण के प्रति जो प्रेम था, उसमें भोग की वासना का लेश भी नहीं थाlकृष्ण ने अपने साहचर्य एवं संसर्ग से गोपियों को इन्द्रियों के परे ले जाकर उस शाश्वत्‌ आनन्द की झलक दिखलाई।" राधा रानी संग गोपियां स्नान करने के लिए यमुना के जल में नहाने जाती हैं। गोपियां जल में अठखेलियां करती हैं। जो भगवान श्रीकृष्ण को नागवार गुजरता है। गोपियों को अपने तरफ ध्यान आकृष्ट करने के लिए मधुर स्वर में बासुरी बजाते हैं। बासुरी के धुन सुनकर गोप कन्याओं का तंद्रा भंग होती है। वे इधर-उधर देखती हैं। सहसा उनका ध्यान कदम्ब के वृक्ष पर जाता है। जहां भगवान श्रीकृष्ण उनका वस्त्र लिये मंद-मंद मुस्कु
Dear sir we are Ready to cope... with the situation but how long.. it's very hard to do such things for long time..we need vaccination sooner ..more difficult for middle class people  and private teachers they can't be in line and nobody cares for them..plz sir find some more ways.

भगवान कृष्‍ण के मित्र होते हुए भी क्‍यों थे सुदामा इतने गरीब…( Krishna Sudama story. )

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देवताओं के ऋषि को सांदीपनि कहा जाता है। वे भगवान  कृष्ण , बलराम और  सुदामा के गुरु थे ।  गुरु  ने  श्रीकृष्ण  से दक्षिणा के रूप में अपने पुत्र को मांगा, जो शंखासुर राक्षस के कब्जे में था।        सुदामा जी भगवन श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान् ब्राह्मण थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में हुई। सुदामा जी अपने ग्राम के बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे और अपना जीवन यापन ब्राह्मण रीति के अनुसार वृत्ति मांग कर करते थे।    उज्जैन (अवंतिका) में स्थित ऋषि सांदीपनि के आश्रम में बचपन में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम पढ़ते थे। वहां उनके कई मित्रों में से एक सुदामा भी थे। सुदामा के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। कहते हैं कि सुदामा जी शिक्षा और दीक्षा के बाद अपने ग्राम अस्मावतीपुर (वर्तमान पोरबन्दर) में भिक्षा मांगकर अपना जीवनयापन करते थेl         Sudama was a Brahmin childhood friend of  Hindu deity   Krishna  from  Mathura , the story of whose visit to  Dwaraka  to meet Krishna is mentioned in the  Bhagavata Purana . [1]  H

हरे रामा, हरे रामा, हरे कृष्णा, हरे कृष्णाl(lword "Hare" refers to the divine feminine potency of God. "Krishna" means the all-attractive one, and "Rama" is the reservoir of all pleasure)

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       The  Hare  Krishna mantra, also referred to reverentially as the Maha Mantra ("Great Mantra"), is a 16-word Vaishnava mantra which is mentioned in the Kali-Santarana Upanishad and which from the 15th century rose to importance in the Bhakti movement following the teachings of Chaitanya Mahaprabhu.                                     हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥ उपरोक्त मंत्र की विधि अत्यंत ही सरल है। आप सिर्फ रात-दिन जब भी समय मिले, इस मंत्र का जप शुरू कर दें और प्रभु से प्रेम रखें। लगन लगाकर जप करें। शनैः शनैः जैसे-जैसे जपकर्ता के जप अधिकाधिक होंगे, वैसे-वैसे ही सुख की ओर अग्रसर होंगे।                                                                         हरे कृष्ण मंत्र कलि संतारण उपनिषद में वर्णित एक मंत्र है जिसे वैष्णव लोग 'महामन्त्र' कहते हैं। १५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय यह मंत्र प्रसिद्ध हुआ। इसको रघुनंदन भट्टाचार्य ने लिखा था नवाव हुसैन शाह के आदेश पर । यह मंत्र निम्

Shri Madan Mohan Temple, Vrindavan मदन मोहन मन्दिर, वृंदावन

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वृन्दावन  के अन्य  मंदिरों  में श्री राधा मोहन  मंदिर , कालीदह, सेवाकुंज, अहिल्या टीला, ब्रह्म कुण्ड, श्रृंगारवट, चीर घाट, गोविन्द देव  मंदिर , काँच का  मंदिर  गोपेश्वर  मंदिर  एवं सवा मन सालिग्राम  मंदिर  आदि भी दर्शनीय हैं।                 महाप्रभु चैतन्य का प्रवासl 15वीं शती में चैतन्य महाप्रभु ने अपनी ब्रजयात्रा के समय वृन्दावन तथा कृष्ण कथा से संबंधित अन्य स्थानों को अपने अंतर्ज्ञान द्वारा पहचाना l       1.गोविंददेव मंदिर.         . वर्तमान वृन्दावन में प्राचीनतम मंदिर राजा मानसिंह का बनवाया हुआ है। यह मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल में बना था। मूलत: यह मंदिर सात मंजिलों का था। ऊपर के दो खंड औरंगज़ेब ने तुड़वा दिए थे। कहा जाता है कि इस मंदिर के सर्वोच्च शिखर पर जलने वाले दीप मथुरा से दिखाई पड़ते थे।    2.   यहाँ का विशालतम मंदिर .रंगजी के नाम से प्रसिद्ध है। यह दाक्षिणत्य शैली में बना हुआ है। इसके गोपुर बड़े विशाल एवं भव्य हैं। यह मंदिर दक्षिण भारत के श्रीरंगम के मंदिर की अनुकृति जान पड़ता है। वृन्दावन के दर्शनीय स्थल हैं- निधिवन (हरिदास का निवास कुंज), कालिय

छोटा-सा उपाय दूर कर देगा पूरे परिवार का दुख-दर्द, घर में जल्द बन जाएगा सुख शांति का वातावरणl (Hindus perform hawans (fire ceremonies) in which they throw ghee and rice (as oblation) ... Such scholar may be an atheist or confused about the relationship between God and life.) (पति पत्नी के बीच विवाद )

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छोटा-सा उपाय दूर कर देगा पूरे परिवार का दुख-दर्द, घर में जल्द बन जाएगा सुख  शांति  का वातावरण घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भक्ति गीत, भजन अवश्य करें या बजायें । Puja  should be always performed by facing towards East or North. Consider praying between 6 am to 8 am in the morning. Always consider a woolen mat for prayer. Light diya in the morning as well as evening every day in your  puja  place. घरेलू  झगड़ा रोकने  के लिए बुधवार को गणेश भगवान का  उपाय  करें। मंदिर में जाकर शुद्ध घी के मोतीचूर के लड्डू चढ़ा दें। चाहे तो लड्डू में चिरोंजी, तुलसी और चना मिलाकर चढ़ाएं। बाकी बचे प्रसाद को  घर  के सभी लोगो को खिलाएं इससे  घर  में कभी  लड़ाई  नहीं होगी। अपने  घर  में पूजा पाछ हमेशा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर कुश का आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके रोज करें । ऐसा करने से  सुख  समृद्धि बना रहेगी ।                4.हमेशा  घर  में बनी हुई पहली रोटी गाय के    लिए जरूर निकालें ।                          5.अपने  घर  के पूजा स्थल में सदैव जल से भरा एक कलश जरूर रखें l

स्वयंवर सभा में राजकुमारी द्रौपदीlDraupadi (Sanskrit: द्रौपदी, lit. Daughter of Drupada), also referred as Panchalī, is one of the most important females in the Hindu epic, Mahabharata. She was the daughter of King Drupada of Panchal, and wife of the Pandavas who fought their cousins, the Kauravas in the great Kurukshetra War.

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    स्वयंवर सभा में अनेक देशों के राजा-महाराजा एवं राजकुमार पधारे हुये थे कुछ ही देर में राजकुमारी द्रौपदी हाथ में वरमाला लिये अपने भाई धृष्टद्युम्न के साथ उस सभा में पहुँचीं। धृष्टद्युम्न ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा, "विभिन्न देश से पधारे राजा-महाराजाओं एवं अन्य गणमान्य जनो जो ऊपर घूमती हुई मछ्ली की आँख को नीचे तेल से भरे पात्र में देखकर भेद सकेगा उस वीर से मेरी बहन द्रौपदी का विवाह होगा।" कौरवों के असफल होने पर  कर्ण  ने निशाना साधने के लिए जैसे ही धनुष उठाया ,तभी द्रौपदी ने श्री कृष्ण के इशारे पर कर्ण को सुत पुत्र कहकर विवाह के लिए मना कर दिया । तब श्री कृष्ण के आदेश पर एक ब्राह्मण को राजकुमारी ने प्राप्त करना चाहा। अर्जुन ने तैलपात्र में प्रतिबिम्ब को देखते हुये एक ही बाण से निशाना लगा डाला। एक ब्राह्मण के गले में द्रौपदी को वरमाला डालते सोचने के बाद समस्त क्षत्रिय राजा-महाराजा एवं राजकुमारों ने क्रोधित हो कर अर्जुन पर आक्रमण कर दिया। पाण्डवों तथा क्षत्रिय राजाओं में घमासान युद्ध होने लगा। नकुल और सहदेव तब कुंती को यहां ले आएं।राजा द्रुपद ने बताया कि वह उ

(श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का यह प्रसिद्ध मन्दिर मथुरा में स्थित है, जिसकी पौराणिक मान्यता है। मन्दिर में 'दाऊजी', 'मदनमोहन' तथा अष्टभुज 'गोपाल' के श्रीविग्रह विराजमान हैं।))बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के सौतेले बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। बलराम, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं। बलभद्र के सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था।Balarama grew up with his younger brother Krishna with foster parents, in the household of the head of cowherds Nanda and his wife Yashoda. He was named Rama, but because of his great strength he was called Balarama, Baladeva, or Balabhadra, meaning Strong Rama. He was born on Shraavana Purnima or Raksha Bandhan.

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       बलभद्र या  बलराम  श्री कृष्ण के सौतेले बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे।         श्रीकृष्ण के पुत्र शांब जब दुर्योधन की कन्या लक्ष्मणा का हरण करते समय कौरव सेना द्वारा बंदी कर लिए गए तो बलभद्र ने ही उन्हें दुड़ाया थाl   कृष्ण उनका विशेष सम्मान करते थे। बलराम जी भी श्रीकृष्ण की इच्छा का सदैव ध्यान रखते थे।     बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण उन्हें  बलभद्र  भी कहा जाता है। बलराम जी साक्षात  शेषावतार  थे। बलराम जी बचपन से ही अत्यन्त गंभीर और शान्त थेl बलराम जी का विवाह रेवती से हुआ था। दाऊजी मन्दिर  भगवान  श्रीकृष्ण  बड़े भाई  बलराम   से सम्बन्धित है।मथुरा का सबसे प्राचीन मन्दिर माना जाता है। इस मन्दिर को 'गोपाल लालजी का मन्दिर' भी कहते हैं। मन्दिर में दाऊजी, मदन मोहन जी तथा अष्टभुज गोपाल के श्री विग्रह विराजमान हैं। दाऊजी या बलराम का मुख्य मथुरा के ही बलदेव में है। मन्दिर के चारों ओर सर्प की कुण्डली की भाँति परिक्रमा मार्ग में एक पूर्ण पल्लवित बाज़ार है। मन्दिर के पीछे एक विशाल कुण्ड भी है, जो 'बलभद्र कुण्ड' के नाम से वर्णित है। आज कल इ

2000 साल से भी पुराना है द्वारकाधीश मंदिरl

द्वारिकाधीश मंदिर, भी जगत मंदिर के रूप में जाना और कभी कभी वर्तनी द्वारिकाधीश, एक है हिंदू मंदिर भगवान के लिए समर्पित कृष्णा, जो नाम द्वारिकाधीश, या 'द्वारका के राजा' द्वारा यहां पूजा की जाती है। मंदिर भारत के गुजरात के द्वारका में स्थित है।   द्वारिकाधीश मंदिर,  नगरी आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के 4 धामों में से एक है। यह मंदिर श्री कृष्ण को समर्पित है। पुरातात्त्विक खोज में सामने आया है कि यह मंदिर करीब 2,000 से 2200 साल पुराना है। इस मंदिर की इमारत 5 मंजिला है और इसकी ऊंचाई 235 मीटर है। यह इमारत 72 स्तंभों पर टिकी हुई है। ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रभ ने करवाया था।

Spiritual self-care.

Spiritual self-care This involves having a sense of perspective beyond the day-to-day of life. Engage in reflective practices like meditation. Go on bush walks. Go to church/mosque/temple. Do yoga. Reflect with a close friend for support. जीवनशैली और माहौल में बदलाव, नौकरी में बदलाव, नियमित कसरत, योग, ध्यान, अपने शौक पूरे करने और नियमित रूप से अवकाश लेने से जीवन में संतुलन बना रहता है. इससे तनाव और दिल पर मंडराते खतरे भी दूर हो जाते हैं.

कोरोना के बाद कि दुनिया अजीब हो जाएगी,भगवान श्री कृष्ण ने कहा भी था परिवर्तन संसार का नियमl

भगवान श्री कृष्ण ने सही ही कहा था परिवर्तन संसार का नियम है सो हम सभी अनुभव के साथ साथ अनुसरण भी कर रहे हैं।  कोरोना के बाद कि दुनिया एक अजीब हो जाएगी । लोग एक दुसरो से मिलना कम पसंद करेंगें। अधिकतर लोग टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे मीटिंग आदि के लिए। यह दुनिया वालो की जोर अब एक नई सोच को अगाह देगा।

Temple

Krishna-Balaram Mandir is a Gaudiya Vaishnava temple in the holy city of Vrindavan. It is one of the main ISKCON temples in India and internationally.

मथुरा से 15 कि.मी. की दूरी पर वृन्दावन में भव्य एवं सुन्दर मंदिरों की बड़ी श्रृंखला इसे मंदिरों की नगरी बना देती है। मुख्य बाजार में बांके बिहारी जी का मंदिर सबसे अधिक लोकप्रिय है।

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वृन्दावन  मथुरा क्षेत्र में एक गांव है जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। बिहारी जी का मंदिर बादामी रंग के पत्थरों एवं रजत स्तम्भों पर बना कारीगरी पूर्ण बांके बिहारी जी के मंदिर का निर्माण संगीत सम्राट तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास ने करवाया था। जहां फूलों एवं बैंडबाजे के साथ प्रतिदिन आरती की जाती है जिसका दृश्य दर्शनीय होता है। मंदिर में दर्शन वैष्णव परम्परानुसार पर्दे में होते हैं। मंदिर भक्तगणों के दर्शन के लिए प्रातः 9 से 12 बजे तक एवं सायं 6 से 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है।

संक्रमण और महामारी , Black Death(Plage)

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संक्रमण और महामारी ब्लैक डेथ ने लाखों लोगों की जान ले  ली, क्योंकि यह कई सौ वर्षों में प्रकट हुआ थाl इस समय की सामान्य समस्याओं में चेचक, कुष्ठ रोग और ब्लैक डेथ शामिल थे, जो समय-समय पर जारी रहे। 1665-1666 में, ब्लैक डेथ ने लंदन की  20 प्रतिशत  आबादी को मार डाला । जबकि ब्लैक डेथ एशिया से आया था, यूरोप से दुनिया के अन्य हिस्सों में जाने वाले लोगों ने कुछ घातक रोगजनकों का निर्यात भी किया।

good&bad results

The  definition of "as you sow ,  so you shall reap " is: if  you  did bad things in the past,  you will get bad results in the future. if  you  did good things in the past,  you  will get good results in the future. "as  you sow ,  so you shall reap "  means .

East and west different

India  is the birthplace of Hinduism, Buddhism, Jainism, Sikhism, and other  religions . They are collectively known as  Indian religions . ...  India  is one of the most religiously and ethnically diverse nations in the world, with some of the most deeply religious societies and  cultures . The  culture  of the United States of  America  is primarily of Western origin, but is influenced by a multicultural ethos that includes African, Native  American , Asian, Pacific Island, and Latin  American  people and their  cultures .

What Krisna Speeks.

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Krishna says:सुखे दुखे समेकृत्वा, लाभा लाभौ जया जयौ. इसका अर्थ है सुख दुख, लाभ हानि, जय अथवा पराजय को समान भाव से लेना चाहिए. इससे ही जुड़ी हुई एक और बहुत ही खूबसूरत बात है. जब अर्जुन का मन घबराया हुआ है. विचलित और दुविधा से भरा हुआ है. अर्जुन कृष्ण से कह रहे हैं, आप ही सर्वशक्तिमान हैं तो यह संघर्ष टाल क्यों नहीं देते. कृष्ण कहते हैं, मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मैं स्वयं भी प्रकृति के नियमों से बंधा हुआ हूंl

Immunity & medicine(biology, immunity is the balanced state of multicellular organisms having adequate biological defenses to fight infection, disease, or other unwanted biological invasion, while having adequate tolerance to avoid allergy, and autoimmune diseases.) (आपका इम्यून सिस्टम कैसे काम करता है?)एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की सुरक्षा प्रणाली के रूप में काम करती है। यह एक व्यक्ति को संक्रमण और बीमारी को दूर करने में मदद करता है, और शरीर में प्रवेश करने वाली हर चीज को छानने के लिए जिम्मेदार है। प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं, अंगों और प्रोटीन से युक्त होती है।

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                                                                         संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल शराब या नशीली दवाओं के दुरुपयोग से लाखों प्रभावित होते हैं। शायद लत के सबसे कम प्रभाव में से एक, हालांकि, यह है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावित करता है। पदार्थ प्रत्येक प्रतिरक्षा प्रणाली को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं, लेकिन अधिकांश प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने का काम करते हैं। यह एक आदी व्यक्ति को संक्रमण, बीमारी के संकुचन, और कमजोर अंगों से प्रभावित करता है//.            &   ट्    SUBSTANCE each   affect  the  immune  system in different ways, but most work to weaken the  immune  system. This puts an addicted individual at higher risk of infection, contraction of disease, and weaker organs which means a weakened filter system to fight the  effects of  substance Substanceseach  affect  the  immune  system in different ways, but most work to weaken the  immune  system. This puts an addicted individual at higher risk of infection, contraction o

Stress a& life

चिंता और चिता इन शब्दों में केवल एक बिन्दु का फ़र्क है | किंतु चिता निर्जीव शरीर को जलाती है, और चिंता जीवन को ही जलाती है | Most of us experience stress in our day to day life. It has become one of the biggest problems for us; more dangerous than cancer! Stress is adversely affecting everything; our working capacity, relations, physical and mental health. Stress has become one of the important factors in reducing our lifespan. Let us explore how Yoga and some of the natural Yogic ways can help us address this subtle yet daunting disease?

(प्रार्थना) ऊर्जा, शक्ति के साथ-साथ अच्छे-बुरे में अंतर समझाती है . Does Prayer Work and How to Pray? Prayer is one of the most powerful weapons God has given us. भगवान, मेरा दिल अराजकता और भ्रम से भरा है। मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी परिस्थितियों में डूब रहा हूं और मेरा दिल भय और भ्रम से भर गया है। मुझे वास्तव में शक्ति और शांति चाहि.इ।

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Prayer activates divine principles which are imbibed in us. The way in which we pray can increase the effectiveness of a prayer. Prayer is an invocation or act that seeks to activate a rapport with an object of worship through deliberate communication. In the narrow sense, the term refers to an act of supplication or intercession directed towards a deity, or a deified ancestor very own perspective for this question is that prayer done without deep intention or or without intention could not help us to get rid out of anything. IF ONE DO KARMA, WHICH ONE SHOULD NOT THAN?                       Very own perspective for this question is that prayer done without deep intention or or without intention could not help us to get rid out of anything. Remember, Mother Nature is very kind, She is the epitome of kindness. We suffer because of our own faults and actions.
Yoga philsophy of Hinduism is thus all about mastering mind to achieving liberation. In Raja yoga it puts up paths to be followed in order to make the mind in harmony and if you think about it, it is very practical.

कृष्ण भक्त( मीरा)Mirabai,devotee of Krishna

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Mirabai मीराबाई, was a 16th-century Hindu mystic poet and devotee of Krishna. She is a celebrated Bhakti saint, particularly in the North Indian Hindu tradition. Mirabai was born into a Rajput royal family in Kudki, Pali district, Rajasthan, India then spent her childhood in Merta, Rajasthan. मीरा बाई एक मध्यकालीन हिन्दू आध्यात्मिक कवियित्री और कृष्ण भक्त थीं। वे भक्ति आन्दोलन के सबसे लोकप्रिय भक्ति-संतों में एक थीं। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित उनके भजन आज भी उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हैं और श्रद्धा के साथ गाये जाते हैं। मीरा का जन्म राजस्थान के एक राजघराने में हुआ था  ऐसा माना जाता है कि बहुत दिनों तक वृन्दावन में रहने के बाद मीरा द्वारिका चली गईं जहाँ सन 1560 में वे भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गईं।

गोविंद या गोपाल में 'गो' शब्द का अर्थ गाय एवं इन्द्रियों दोनों से है। 'गो' एक संस्कृत शब्द है और ऋग्वेद में 'गो' का अर्थ होता है मनुष्य की इंद्रियां। जो इन्द्रियों का विजेता हो और जिसके वश में इंद्रियां हों, वही गोविंद है, गोपाल है.Gopala-Krishna is the infant/child form of Lord Krishna, the Cowherd Boy who enchanted the Cowherd Maidens with the divine sound of his flute, attracting even Kāmadeva.

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श्रीकृष्ण भगवद् गीता के केंद्रीय व्यक्ति हैं। श्रीकृष्ण को हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से एक अवतार माना जाता है - भगवान का प्रत्यक्ष वंश। कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान, कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का अमर आध्यात्मिक प्रवचन दिया - कृष्ण ने ज्ञान, भक्ति और विवेक का आध्यात्मिक मार्ग सिखाया। श्रीकृष्ण ने अपने समय में राधा और गोपियों के साथ वृंदावन में भक्ति भक्ति योग को लोकप्रिय बनाया। भगवान कृष्ण एक मैच्योर हीरो हैं, जिन्होंने बादशाहों के भाग्य को अपने हाथ की हथेली में पकड़ रखा है, लेकिन खुद कभी सिंहासन की इच्छा नहीं रखते . Gopala-Krishna is the infant/child form of Lord Krishna, the Cowherd Boy who enchanted the Cowherd Maidens with the divine sound of his flute, attracting even Kāmadeva. 

(सबसे बड़ा भक्त ) Krishna says "If you single-pointedly worship me, I will take care of all your needs". (The greatest devotee that remains is Karma) ,(Four kinds of people engage in Lord Krishna's devotion—the distressed, the curious, the seekers of worldly possessions, and those who are situated in knowledge) (भागवत के अनुसार, भक्तों के तीन प्रकार हैं। "वह जो अपने प्रिय देवता को हर वस्तु में देखता है और इसके विपरीत होता है और फलस्वरूप सभी जगह परिपूर्णता की भावना रखता है। वह एक श्रेष्ठ भक्त है। वह जो भगवान से प्यार करता है और अपने भक्तों के प्रति दयालु है, वह अज्ञानी और अपने दुश्मनों के प्रति उदासीन है। एक निष्ठावान भक्त। वह, जो पारंपरिक विश्वास से है, छवियों में हरि की पूजा करता है, लेकिन उसके भक्तों या दूसरों के लिए कोई सम्मान नहीं है, वह एक भक्त है)

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One of the reason for the devotees facing problem is that lord wants his devotees to set a good example for mass of people by showing how a devotee faces difficulties and overcome them, so that the general people can take inspiration from them. Krishna  sometimes put  His devotees  through difficulties to purify them and to deepen their exclusive dependence and devotion. He may  do  so as an exchange of transcendental loving reciprocation, simply to intensify their feelings of dependence, longing and attachment to Him. अर्जुन को अहंकार हो गया कि वही भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं। उनको श्रीकृष्ण ने समझ लिया। एक दिन वह अर्जुन को अपने साथ घुमाने ले गए।  रास्ते में उनकी मुलाकात एक गरीब ब्राह्मण से हुई। उसका व्यवहार थोड़ा विचित्र था। वह सूखी घास खा रहा था और उसकी कमर में तलवार लटक रही थी। अर्जुन ने पूछा, ‘‘आप तो अहिंसा के पुजारी हैं। जीव हिंसा के भय से सूखी घास खाकर अपना गुजारा करते हैं लेकिन फिर हिंसा का यह उपकरण तलवार क्यों आपके साथ है?’’  ब्राह्मण ने जवाब दिया, ‘‘मैं कुछ लोगों

कोरोनोवायरस भगवान का एक कार्य है? (बुराइयाँ :- नैतिक बुराइयाँ, जैसे कि हत्या, और प्राकृतिक बुराइयाँ, जैसे कि तूफान, बवंडर या इस मामले में, कोरोनावायरस।)

     ( Continue to previous blog the killing animals)                                   भगवान का शुक्र है कि हम नियंत्रण में नहीं हैं और हमेशा भगवान पर निर्भर रहना चाहिए। इस अनुस्मारक के लिए भगवान का शुक्र है कि हमें सभी चीजों के लिए आभारी होना चाहिए - किराने का सामान, टॉयलेट पेपर, अच्छे स्वास्थ्य के लिए। हमें जीवन की याद दिलाने के लिए भगवान का धन्यवाद नाजुक है, और "हमने उस चमत्कार की सराहना की और आशीर्वाद दिया कि भगवान ने हमें आत्मा के रूप में हमें बनाने के लिए दिया है।"