(Kaise Kiya Bhagwan Shri Krishna Na Bakasur Ka Sanhar)कैसे किया भगवान श्री कृष्ण ने बकासुर का संहारVatsasura, Bakasura and Aghasur Vadh(killed) in hindi
जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण उस और दौड़ पड़े जहां से उन्हें चीख पुकार सुनाई दे रही थी। जब भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी के किनारे पहुंचे तो उन्होंने एक भयानक जीव को देखा। जिसका आकार बहुत विशाल था। उस जीव की चोंच बहुत ही लंबी थी, उसकी आंखें भी बहुत विकराल थी। वह बगुला आंखों को गुड़मुड़ाकर पानी में बैठा गया। भगवान श्री कृष्ण उस बगुले को देखते ही समझ गए की यह कोई साधारण बगुला नहीं बल्कि कोई राक्षस है। उसे देखकर भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत क्रोध आया।
इसके बाद भगवान श्री कृष्ण नदी में कूद पड़े और उस बगुले की गर्दन पकड़ ली। भगवान श्री कृष्ण ने उस बगुले की गर्दन को जोर से पकड़ कर मोड़ना शुरु कर दिया। कृष्ण ने बगुले की गर्दन को इस प्रकार मरोड़ा की उसकी आंखें बाहर आ गई। जिसके बाद वह अपने असली रूप में आ गया और ज़मीन पर गिर पड़ा। इस प्रकार से बगुले को एक राक्षस को रूप रखे हुए देखकर लोगों की बड़ी ही हैरानी हुई। लेकिन उन्हें सबसे बड़ी हैरानी तो इस बात पर हुई की इतने छोटे से बालक ने एक विशाल राक्षस को कैसे मार दिया।
भगवान श्री कृष्ण के साथियों ने यह सारा वृतांत शाम के समय में गांव में सुनाया। भगवान श्री कृष्ण के साथियों ने उनकी बहुत प्रशंसा की उन्होंने बताया कि कन्हैया ने एक बगुले के रूप में आए राक्षस का किस प्रकार से संहार किया। बकासुर की मृत्यु की खबर सुनकर कंस और भी अधिक परेशान हो उठा। वह तुरंत ही समझ गया कि नदं का ही पुत्र देवकी आठवीं संतान है। जिसने उसे मारने के लिए धरती पर जन्म लिया है। उसके ये विशाल राक्षस भी नंद के पुत्र का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे।
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