सुख-शांति ही नहीं सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं कान्हा की बांसुरी,शास्त्रों के अनुसार गोकुल में गायों को चराने के दौरान भगवान कृष्ण कदंब के वृक्ष नीचे बैठकर बांसुरी बजाया करते थे, उनकी बांसुरी की मधुर धुन सुनकर गाय उनके पास आ जाती। सिर्फ गाय ही नहीं, गोपियों को भी उनकी बांसुरी की धुन मोहित कर देती थी। यमुना के किनारे कदंब के काफी वृक्ष हुआ करतेl

       शिवजी भगवान श्री कृष्ण से मिलने गोकुल पंहुचे तो उन्होंने श्री कृष्ण को भेट स्वरूप वह बंसी प्रदान की। उन्हें आशीर्वाद दिया तभी से भगवान श्री कृष्ण उस बांसुरी को अपने पास रखते हैं।                            भगवान विष्णु का अवतार माने जाने वाले श्री कृष्ण जी को बांसुरी बहुत प्रिय थी। वह अपने साथ सदा इसे रखते थे। इसी वजह से शास्त्रों में बांसुरी को विशेष स्थान प्राप्त है। यहां तक कि वास्तु शास्त्र के अनुसार बांसुरी को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के मुताबिक बांसुरी को घर में रखने से हर तरह की नकारत्मक शक्ति घर से दूर रहती है। इसके अलावा बांसुरी और भी कई तरीकों से घर के लिए शुभ मानी जाती है। आइए जानते हैं कैसे...

घर में बनाए रखे सुख-शांति

भगवान कृष्ण सभी को बांसुरी की मधुर धुन से मोहित कर लिया करते थे। राधा के साथ उनका लगाव भी इसी बांसुरी के जरिए हुआ था। अगर आपके घर में अशांति का माहौल है या फिर आपकी अपने पार्टनर से बहस या लड़ाई होती है तो आपको भी अपने घर में श्री कृष्ण की बांसुरी रखनी चाहिए। बांस से बनी बांसुरी आपके लिए बहुत शुभ रहेगी।

नेगेटिव एनर्जी होगी दूर

अगर आपको अपने आसपास के किसी व्यक्ति से नकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है तो अपने पास एक छोटी सी बांसुरी रखना शुरु कर दें।बांसुरी अपने पास रखने से भगवान श्री कृष्ण की अपार कृपा आप पर बनी रहेगी जिससे नेगेटिव लोगों का प्रभाव आप पर नहीं पड़ेगा।

अपार धन की प्राप्ति

धन कमाने के लिए मेहनत और दिमाग दोनों की जरूरत होती है। हर व्यक्ति धन प्राप्ति के लिए भगवान से जरुर कामना करता है।  मेहनत फल नहीं मिल पाता। ऐसे में व्यक्ति कई बार निराश होकर बैठ जाता है। मगर निराश होने की जरुरत नहीं है, वास्तु के अनुसार यदि आपके बनते काम बिगड़ते जा रहे हैं तो घर के मंदिर में बांसुरी जरुर रखें। सुबह काम पर निकलने से पहले और वापिस आने के बाद बांसुरी के दर्शन जरुर करें। ऐसा करने से आपके रुके-पड़े काम जल्द बनने लगेंगे।


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(श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का यह प्रसिद्ध मन्दिर मथुरा में स्थित है, जिसकी पौराणिक मान्यता है। मन्दिर में 'दाऊजी', 'मदनमोहन' तथा अष्टभुज 'गोपाल' के श्रीविग्रह विराजमान हैं।))बलभद्र या बलराम श्री कृष्ण के सौतेले बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। बलराम, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं। बलभद्र के सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था।Balarama grew up with his younger brother Krishna with foster parents, in the household of the head of cowherds Nanda and his wife Yashoda. He was named Rama, but because of his great strength he was called Balarama, Baladeva, or Balabhadra, meaning Strong Rama. He was born on Shraavana Purnima or Raksha Bandhan.