जब श्री कृष्ण यशोदा मईया से हो गए नाराजl संसार में किसी को प्राप्त नहीं माता यशोदा जैसा वात्सल्य सुख (And Krishna addresses Yasoda as 'mother.' Can a woman be more blessed than this)

भगवान ने अपनी इस लीला के माध्यम से हमें बताया की वे छोटे से गोपाल के रूप में होते हुए भी अनन्त हैं। साथ ही भक्त-वत्सल भी हैं। अपनी वात्सल्य रस की भक्त माता यशोदा की इच्छा पूरी करने के लिए वे लीला-पुरुषोत्तम जब बंधे तो पहली रस्सी से ही बंध गए बाकी रस्सियों का ढेर यूं ही पड़ा रहा। इस लीला के बाद से ही भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम हो गया दामोदर।(Rope leaves a scar around His hip, and hence He acquires the name Damodara.)
    भगवान ने अपने भक्तों की इच्छा के अनुसार रूप तो अनेक धारण किए, परन्तु उनको छड़ी लेकर ताड़ना देने का सौभाग्य केवल माता यशोदा को ही प्राप्त हुआ। ऐसा सुख, ऐसा वात्सल्य संसार में किसी को न तो प्राप्त हुआ है और न ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, गोवर्धन धारण समेत अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख प्रदान किया। एक बार बाल कृष्ण ने मिट्टी खा ली, यह देखकर माता यशोदा उनका मुख खुलवाकर देखने लगीं। संपूर्ण ब्रह्मांड ही उन्हें अपने लला के मुख में दिखाई दिया तो वह आश्चर्यचकित रह गईं।
11 वर्ष छह माह तक माता यशोदा का महल भगवान श्रीकृष्ण की किलकारियों से गूंजता रहा। इसके बाद श्रीकृष्ण को मथुरापुरी ले जाने के लिए अक्रूर जी आ गए।

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